हरि अर्थात भगवान और हाइड्रोजन के कुल 51 एक समान लक्षण के लिये कुल 51 अध्याय निर्धारित किये गये है।
उन सभी अध्यायो की सूचि निम्न प्रकार से है।
विषय-सूचि
|
|
1/A |
भूमिका |
1/B |
सृष्टि-रचना (ब्रह्मांड-रचना) के संदर्भ में प्राचीन-ग्रंथों का मत |
1/C |
जगत रचना में हरि और उनकी माया
दोनों का ही योगदान |
1/D |
एक ही चीज जड़ और चेतन कैसे हो
सकती है ? |
लक्षण संख्या |
लक्षण
के नाम |
01/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) ही जगत का आदि-कर्ता है । |
02/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) ही जगत का अंत-कर्ता है । |
03/51 |
प्रोटियम-ब्रह्मा का जगत-रचयिता होने का गुण |
04/51 |
प्रोटियम-ब्रह्मा का जीव-रचयिता होने का गुण |
05/51 |
ड्युटेरियम-विष्णु के गुण |
06/51 |
ट्राइटेरियम-शिव के गुण |
07/51 |
प्रोटियम-ब्रह्मा, ड्युटेरियम-विष्णु, ट्राइटेरियम-शिव में संबध |
08/51 |
प्रभु (हरि-हाइड्रोजन) में जल (पंचभूत) के रचयिता होने का गुण |
09/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) में अग्नि (पंचभूत) के रचयिता होने का गुण |
10/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) में वायु (पंचभूत) के रचयिता होने का गुण |
11/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) में पृथ्वी (पंचभूत) के रचयिता होने का गुण |
12/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) में गगन (पंचभूत) के रचयिता होने का गुण |
13/51 |
सूर्यनारायण कोई और नहीं बल्कि
नारायण (हरि-हाइड्रोजन) के ही अंश है । |
14/51 |
परमात्मा (हरि-हाइड्रोजन) ही सूर्य, आग और बर्फ के मूलकारक है । |
15/51 |
परमब्रह्म, लकड़ी (काठ/हाइड्रोकार्बन) की उपमा |
16/51 |
मुझमें (हरि-हाइड्रोजन में) व्याप्त सृष्टियाँ, मैं (हरि-हाइड्रोजन) सृष्टियों में व्याप्त हूँ । |
17/51 |
सर्वशक्तिमान ईश्वर(हरि-हाइड्रोजन) की नाभिकीय-शक्ति |
18/51 |
सर्वशक्तिमान ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की रसायनिक-शक्ति |
19/51 |
सर्वशक्तिमान ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की विद्युत-शक्ति |
20/51 |
सर्वशक्तिमान ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की चेतना-शक्ति |
21/51 |
सर्वशक्तिमान ईश्वर(हरि-हाइड्रोजन) की आर्थिक-शक्ति |
22/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) एक है उनके रुप अनेक है। |
23/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) का सर्वव्यापी और अंतर्यामी रुप |
24/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) ही जगत रक्षक और पालन-कर्ता है । |
25/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) के सकार रुप और नीराकार रुप |
26/51 |
ईश्वर एक पवित्र वायु और पृथ्वी
के गंध के रुप में |
27/51 |
ईश्वर ही एक मात्र पवित्र-कर्ता |
28/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) ही पृथ्वी के भार को कम करते है । |
29/51 |
ब्रह्मांड-उत्पति (ईश्वर) एक सूक्ष्म कण के द्वारा |
30/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) द्वारा प्रथम जीव-उत्पति (02/51 और 03/51 से अलग) |
31/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) का साक्षात्कार (दर्शन/ आँखों द्वारा देख लेना) कठिन हैं । |
32/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की प्राप्ति अन्य लोकों (बैकुण्ठ) में गमन द्वारा |
33/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की प्राप्ति भक्ति द्वारा |
34/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की प्राप्ति पत्थर-पूजन द्वारा |
35/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की प्राप्ति योग (प्राणायाम) द्वारा |
36/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की प्राप्ति यज्ञ द्वारा |
37/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) ही सबसे सूक्ष्म और सबसे विराट भी है । |
38/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) ही सबसे अधिक आदर्श है । |
39/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) के प्रकाश से जगत प्रकाशमान है । |
40/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) को सदा ही प्रथम स्थान प्राप्त
है। |
41/51 |
ईश्वर से (हरि-हाइड्रोजन) बड़ी कोई शक्ति (अमोघ-अस्त्र) नहीं है । |
42/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) के अंदर स्त्री और पुरुष दोनों के
गुण व्याप्त है । |
43/51 |
विज्ञान के द्वारा ही ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) का वास्तविक ज्ञान संभव है । |
44/51 |
ईश्वर शब्द का प्रयोग आधुनिक-विज्ञान में भी । |
45/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) का मरीचि नामक रुप अंग्रेजी
अनुवाद |
46/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) ही भोजन पचने के मूलकारक है । |
47/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) ही भविष्य रक्षक है। |
48/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) को धन के बल पर द्वारा प्राप्त
नहीं किया जा सकता है । |
49/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) में आदर्श कृष्ण का गुण विराजमान
है । |
50/51 |
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) के नारायण रुप का गुण |
51/51 |
ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) की आधुनिक अंजानी महा-तपस्या का वैज्ञानिक स्वरुप |
व्याकरण आदि से सम्बंधित त्रुटि अल्प मात्रा में हो सकती है ।
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