THIS IS A BOOK, WRITTEN BY S. RAMAYAN. © AUTHOR

17 अप्रैल, 2023

24/51 लक्षण सँख्या = 24/51 [ हरि-हाइड्रोजन ही ही इस जगत के रक्षक और पालन-कर्ता है। ]

 

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अध्याय - 24

हरि और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है।

लक्षण-संख्या =24/51

[ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य है तो यह भी सत्य है कि ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) ही इस जगत के रक्षक और पालन-कर्ता है। ]

 

 



भगवान-विष्णु के 1000 नामों में एक नाम रक्षणः भी आता है जिसका मतलब रक्षा करना होता है। भगवान को जगत का पालन-कर्ता भी कहा जाता है। इस संदर्भ में भगवान की आरती में आया है कि

तुम करुणा के सागरतुम पालन-कर्ता

उपरोक्त पंक्तियों में यह बताया गया है कि वह परमात्मा पेड़- पौधों पशु-पक्षी सहित समस्त मानवों का पालन करने वाले हैं । 84 लाख प्रजातियों में जितने भी जीव है ,उन सबका पालन करने वाला परमात्मा एक ही है। अमेंरिका, रूश, जपान, भारत और पाकिस्तान आदि देशों में पायी जाने जीव-प्रजातियो का पालन, केवल एक ही परमात्मा करता है। परमात्मा का हरि-हाइड्रोजन वाला रुप ही वास्तविक पालन-कर्ता है। यह में विश्व व्यापी अणु है अर्थात विष्णु है। हरि-हाइड्रोजन के वास्तविक पालन-कर्ता होने के कुछ वैज्ञानिक-कारण निम्नलिखित है ।

(1)      विज्ञान के हिसाब से देखा जाय तो यह साबित होता है कि प्राणियों के जीने के लिये उर्जा आवश्यक है। सभी प्रकार के उर्जाओं  का आधार सूर्य ही है। यह सूर्य कुछ और नहीँ बल्कि हरि-हाइड्रोजन का ही अंश है। हरि-हाइड्रोजन अरबों सूर्य और ग्रहों की रचना करने वाले है। उनके ही एक छोटे से अंश से सूर्य की रचना हुई है। सूर्य में विराजमान होकर और उसको अपनी शक्ति प्रदान करके, सचराचर जगत का ठंड और अंधेरे से रक्षा करने का कार्य हरि-हाइड्रोजन द्वारा ही किया जाता है ।

(2)      हरि-हाइड्रोजन के शरीर के अंदर से निकलने वाले प्रकाश से पौधों को पेट पाला (प्रकाश-संश्लेश्ण) जाता है। पौधे दिन में प्रकाश, जल और कार्बनडाईआक्साइड को मिलाकार अपना भोजन बनाते है। इन पौधों से जंतुओं और मानवों का पेट पाला जाता है ।

(3)      ठंडे प्रदेशों में अपनी हाइड्रोजन-बंध की शक्ति से जलाशयों की उपरी परत को जमा (बर्फ) बना देते है जिसके फल-स्वरुप अंदर के प्राणियों की प्राण की रक्षा होती है। हाइड्रोजन-बंध के कारण ही जल का ठोस-रुप (बर्फ), उसके द्रव-रुप (जल) में डूबता नहीं है। घी का ठोस-रुप घी के द्रव-रूप में डूब जाता है लेकिन जल ही एक मात्र ऐसा यौगिक जो हरि-हाइड्रोजन के बंध शक्ति से अपने द्रव रुप में नहीं डूबता है। । बर्फ की ऊपरी परत ऊष्मा की कुचालक होती है जिसके कारण निचे के जल का ताप यथावत बना रहता है। इस प्रकार ठंडे प्रदेशों में जलीय-जीवों की रक्षा हो पाती हैं

(4)      हरि-हाइड्रोजन को यदि जल (H2O) के साथ मिला दिया जाय तो हाइड्रोजन-पराक्साइड (H2O2) बनता है। यह बड़े-बड़े कोरोना-वायरस (राक्षस) का वध करके जगत-रक्षा करने में सफल है। सेनिटाइजर में भी इसका ही अवतार होता है। एलोकोहल के अणुओं की 77% भाग की रचना  हरि-हाइड्रोजन ने की है और हरि के इसी रुप ने 2020 में कोरोना-वायरस की महामारी से  सृष्टी की रक्षा की थी ।

(5)      प्रोटान-बीम थरेपी में, हरि-हाइड्रोजन (99.99% प्रोटान) से ही प्रोटान का अवतरण होता है। इसके द्वारा ही इस जगत को कैन्सर से रक्षा की जा रही है। जब हर प्रकार से असहाय-रोगी वक्त से पहले, हरि-हाइड्रोजन की पुकार लगाता है तो यह हरि-हाइड्रोजन ही अपने एक इलेक्ट्रान त्याग कर प्रोटान (परम-ब्रह्मा) का रुप धारण कर लेते है और प्रोटान-बीम बनकर मानव-जीवन की कैंसर से रक्षा करते है ।

NOTE : आने वाले 100 साल के अंदर ही संसार से खनिज-तेल (डीजल,पेट्रोल, गैस) आदि समाप्त हो जायेंगे क्योंकि इन खनिज-तेलो का पुनः चक्रण या प्रजनन नहीं होता है।  एक ओर जहाँ विश्व की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है वही दूसरी ओर उर्जा के श्रोत कम होते जा रहे है। इस स्थिति में उर्जा का महा-संकट छा जायेगा । प्रलय जैसी भयंकारी स्थिति में परमात्मा का हरि-हाइड्रोजन वाला रुप ही इस जगत का रक्षा करेगा । मैं लेखक  एस.  रामायण अपने-आप को एक प्रबल आस्तिक मानते हुए यह दावा कर रहा हूँ कि हरि का हाइड्रोजन नामक वायु वाला रुप ही इस जगत की उर्जा महासंकट से रक्षा करेगा | 


******  जय श्री राम  *****************

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