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अध्याय - 15हरि
और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है। लक्षण-संख्या
=15/51 [ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य
है तो यह भी सत्य है कि परमब्रह्मा अर्थात हरि-हाइड्रोजन
को समझने
के लिये आग और काठ (लकड़ी) का उदाहरण लेना आवश्यक है। ] |
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लेखक एस. रामायण के साथ साथ भारत के महर्षि और कबि तुलसीदास जी
भी परम परमात्मा (हरि-हाइड्रोजन) को समझने के
लिये लकड़ी (हाइड्रोकार्बन), जल और बर्फ
आदि का प्रयोग कर रहे है। इस संदर्भ में श्रीरामचरितमानस में आया है कि
प्रौढ़ि सुजन जनिजानहिं जन की ।
कहउँ प्रतीति प्रीति रुचि मन की ॥
एकु दारुगत देखिअ एकू ।
पावक सम जुग ब्रह्मबिबेकू ॥2॥
उभय अगम जुग सुगम नाम तें ।
कहेउँनामु बड़ ब्रह्म राम तें ॥
व्यापकु एकुब्रह्म अबिनासी ।
सत चेतन घन आनँद रासी ॥3॥
सज्जन गण इस बात को मुझ दास की ढिठाई या केवल काव्योक्ति न समझें । मैं अपने मन के विश्वास, प्रेम और रुचिकी बात कहता हूँ । निर्गुण और सगुण) दोनों प्रकार के ब्रह्म का ज्ञान अग्नि (हरि-हाइड्रोजन द्वारा निर्मित हाइड्रोकार्बन यौगिक) केसमान है। निर्गुण उस अप्रकट अग्नि के समान है, जो काठ (हाइड्रोकार्बन) के अंदर है, परन्तु दिखती नहीं और सगुण उस प्रकट अग्नि के समान है, जो प्रत्यक्ष दिखती है। (बालकांड, दोहा22, च0 3)
लकड़ी एक प्रकार की हाइड्रोकार्बन यौगिक होती है जिसमें
सबसे अधिक मात्रा में हरि-हाइड्रोजन व्याप्त रहते है। लकड़ी
सहित सभी ज्वलनशील पदार्थ की रचना में हरि-हाइड्रोजन ही मूलकारक है। तुलसीदास
और विज्ञान दोनों ही ब्रह्म-तत्व अर्थात हरि-हाइड्रोजन
को समझने के लिये लकड़ी अर्थात काठ की सहायता ले रहे है।
सभी प्रकार की आग के मूलकारक हरि-हाइड्रोजन और
इनके द्वारा निर्मित यौगिक है। यहाँ तक की कोयला, किरोशिन, डीजल, पेट्रोल, LPG गैस, आदि सभी का
जन्म भी वनस्पतियों द्वारा ही हुआ है। इन सभी के अणु में हरि-हाइड्रोजन
सबसे अधिक संख्या में तो विराजमान है ही और इसके साथ इनके अग्नि के मूलकारक भी है।
वेद और विज्ञान दोनों ही के अनुसार लकड़ी, आग और हरि-हाइड्रोजन की
बीच में गहरा संबध है।
तुलसीदास जी ने हरि को पहचानने के लिये जितने भी दिव्य
गुण बताये है, वो सारे दिव्य-गुण इस हरि-हाइड्रोजन के
अंदर व्याप्त है। यह हरि-हाइड्रोजन ही आदि-अंत, सर्व-शक्तिमान, सर्व-व्यापी, सर्व-अमर, सर्व-पवित्र, पंचभूतो के रचयिता, अति सूक्ष्म
और प्रलय-कर्ता (हाइड्रोजन-बम) है ।
शास्त्र की बातें कभी झूठी नहीं हो सकती है। विज्ञान के अनुसार आगामी 100 साल के अंदर कोयला, तेल और आदि रसायनिक-ईधन (अप्रगट-अग्नि) समाप्त हो जायेंगे । उस समय सम्पूर्ण-मानव सभ्यता को आग (ऊष्मीय-उर्जा) देने का काम हरि-हाइड्रोजन करेंगे। विज्ञान की भाषा में इनको हरी-हाइड्रोजन (The Green Hydrogen) कहा जायेगा।
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श्री राम *****************
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