THIS IS A BOOK, WRITTEN BY S. RAMAYAN. © AUTHOR

10 अप्रैल, 2023

14/51 लक्षण संख्या = 14/51 [ हरि-हाइड्रोजन का आग, सूर्य और चंद्रमा के तेज से सम्बंध ]

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अध्याय - 14

हरि और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है।

लक्षण-संख्या =14/51

[ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य है तो यह भी सत्य है कि प्रभु राम के अनेकों रूपों में हरि-हाइड्रोजन वाला रूप ही सूर्य, आग, हिमकर के मूलकारक है।  ]

 

 


हरि के हाइड्रोजन रुप में विराजमान होने के एक नहीं अपितु अनेक कारण है। भगवान की महिमा की बखान करने के लिये पौराणिक-किताबों में जितने भी गुण बताये गये वो सभी गुण, भगवान के हाइड्रोजन रूप में विराजमान है। श्रीरामचरितमानस से ली गयी निम्नलिखित पंक्तियों में ईश्वर (राम) को  तीन चीजों क्रमशः सूर्य, चंद्रमा और आग का मूलकारक बताया है। इस विषय में श्रीरामचरितमानस और गीता में आया है कि :

बंदउँ नाम राम रघुबर को। 

हेतु कृसानु भानु हिमकर को


मैं श्री रघुनाथजी के नामरामकी वंदना करता हूँ, जो कृशानु (अग्नि), भानु (सूर्य) और हिमकर (चन्द्रमा) का हेतु अर्थात्‌ मूलकारक है । [बालकांड,दोहा 18/0 2 ]

यदादित्यगतं तेजोजगद्भासयतेऽखिलम् ।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौतत्तेजो विद्धि मामकम् ॥

सूर्य में स्थित जो तेज (लगभग 91% हरि-हाइड्रोजन की नाभिकीय शक्ति) सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता है तथा जो तेज (प्रकाश) चन्द्रमा में है और जो अग्नि (हाइड्रोकार्बन-यौगिक) में है- उसको तू मेरा (हरि-हाइड्रोजन) ही तेज जान । [ गीता 15.12 ]

वह भगवान का शरीर रुप था, जो दशरथ-नंदन के रुप में और नंदलाल के रुप अवतरित हुआ था । इन मानव रूपों उस परमात्मा ने कोई भी ऐसा चमत्कार करके नहीं दिखाया जिसके आधार पर यह साबित किया जा सके कि राम (परमात्मा) ही सूर्य, आग और चंद्रमा के मूलकारक है ? फिर श्रीरामचरितमानस से ली गयी उपरोक्त पंक्तियों में ऐसा क्यों  कहा गया है कि राम ही  कृसानु, भानु और हिमकर के मूलकारक है ? राम तो मर्यादित पुरुष थे फिर उन्होने सूर्य, आग और हिमकर के मूलकारक होने का जादू कब दिखाया ? हरि के 24 प्रमुख अवतारों में किसी ने आग, बर्फ और सूर्य को शक्ति प्रदान करने का चमत्कार नहीं दिखाया है। राम रुप तो मर्यादा के लिये, कृष्‍ण रुप को गीता-ज्ञान के लिये जाना जाता है लेकिन उसी भगवान श्रीकृष्ण का मरीचि वाला रूप सूर्य, आग और बर्फ का मूलकारक है। गीता से ली गयी उपरोक्त पंक्तियों में भगवान ने अपने कण रुप की बखान करते हुए बताया है कि तीन चीजों क्रमशः सूर्य, चंद्रमा और अग्नि के मूलकारक हरि-हाइड्रोजन ही है। इस श्लोक को तीन चरणों में निम्न प्रकार से समझाया गया है ।

(a)     सूर्य :-  सूर्य सहित ब्रह्मांड पाये जाने वाले अनेकों तारों की रचना करने के साथ-साथ उनको अपनी शक्ति प्रदान करने का कार्य, हरि-हाइड्रोजन द्वारा ही किया जाता है। सूर्य को नारायण क्यों  कहा जाता है ? इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि सूर्य-नारायण में लगभग 91% नारायण (हाइड्रोजन) ही विराजमान हैं और विराजमान होने के साथ-साथ, इस सूर्य को तेज और प्रकाश प्रदान करने का कार्य भी नारायण (हाइड्रोजन) ही करते है। यही कारण है कि सूर्य को सूर्यनारायण कहा जाता है। यह सूर्य के केंद्रक को लगभग 15.7 मिलियन ( 1 मिलियन = 10 लाख ) केल्विन ताप से और सतह को लगभग 6 हजार डिग़्रीसेल्सियस ताप से तपाते है। समान्य मानव को तो मात्र 38 डिग़्री सेल्सियस ताप पर बुखार चढ़ जाता है ।

(b)     चन्द्रमा :- विज्ञान को इस बात की जानकारी आधुनिक-युग में हुई कि जो तेज चन्द्रमा में है वो वास्तव में चन्द्रमा का न होकर के किसी और का है। जबकि यह बात गीता में प्राचीन-काल में ही बता दी गयी थी । गीता में भगवान (अपने हाइड्रोजन रुप के लिये) ने स्वयं बताया है कि सूर्य और चंद्रमा दोनों के प्रकाश, हरि-हाइड्रोजन के ही अंश है। विज्ञान के अनुसार हरि-हाइड्रोजन अपने नाभिक से निकलने वाले प्रकाश से समस्त जगत को प्रकाशित कर रहे है। भगवान के हाइड्रोजन-बंध की शक्ति से जल कम ताप पर हिम बन जाता है जो कि हिमांशु अर्थात चंद्रमा का मूलकारक है। इन चमकीली और हिम की चट्टानों से प्रकाश परावर्तित होकर पृथ्वी पहुँचता है ।

(c)     अग्नि :- अग्नि दो प्रकार की क्रमशः रसायनिक-अग्नि और नाभिकीय-अग्नि होती है। लकड़ी, कोयला, डीजल, किरोसीन, पेट्रोल, LPG, शुद्ध-हाइड्रोजन-ईंधन आदि सभी रसायनिक-अग्नि के उदाहरण है। इन सभी ज्वलंशील पदार्थों (अप्रकट-अग्नि) के अणुओं की रचना के भी मूलकारक, हरि-हाइड्रोजन ही तो है। जिस यौगिक में इनकी कृपा (प्रतिशत-मात्रा संख्या के अनुसार) जितना अधिक है, वो यौगिक उतना ही अधिक शक्तिशाली है। मेथेन (CH4) में हरि-हाइड्रोजन की कृपा 80% है तो इसका शक्ति का मान  50-55MJ/Kg है़ । शुद्ध हाइड्रोजन रुपी ईंधन में हरि-हाइड्रोजन 100% विराजमान है तो इसका मान सबसे अधिक रसायनिक-शक्ति 120 MJ/Kg है। यह रासायनिक और नाभिकीय दोनों रूपों में संसार को शक्ति और प्रकाश प्रदान करने वाला है। आगामी समय ऊष्मीय उर्जा (अग्नि की शक्ति) के मूलकारक केवल और केवल हरि-हाइड्रोजन होंगे। विज्ञान की भाषा में इन्हें हरी-हाइड्रोजन (The Green Hydrogen) कहा जायेगा। 

 

 

 

 

**************  जय श्री राम  *****************

 

 

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