********
अध्याय - 21हरि
और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है। लक्षण-संख्या
=21/51 [ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य
है तो यह भी सत्य है कि ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन)
ही
सर्वशक्तिमान है। इस अध्याय में हरि-हाइड्रोजन के शक्ति का गुणगान
पृथ्वी ( माया का संसार/
मृत्युलोक ) के अनुसार किया गया है। हरि-हाइड्रोजन ही अपनी शक्ति से समस्त पृथ्वी लोक को चला
रहे हैँ । यहाँ पर हरि-हाइड्रोजन के आर्थिक-शक्ति का गुणगान किया गया है। ] |
|
|
|
ईश्वर ही अपनी शक्ति से संपूर्ण लोकों सहित पृथ्वी-लोक
भी चला रहा है लेकिन किस प्रकार से चला रहा है ? इस प्रश्न का उत्तर जानना कठिन है। ब्रह्मांड-स्तर
पर तो यह इसको अपने नाभिकीय-शक्ति से चला रहा है। पृथ्वी-लोक
स्तर पर अपने रसायनिक और विद्युत-शक्तियों से चला रहा है। आज के इस
युग को अर्थयुग भी कहा जाता हैं और इसके अनुसार यह मानना है कि पैसा (अर्थ) से ही सबकुछ चलाया जा रहा है। बिना पैसा का कोई काम
नहीं हो सकता है। इन सभी पैसों का स्वामी ईश्वर (हरि-हाइड्रोजन) है। इस संदर्भ में गीता और श्रीरामचरितमानस में आया है
कि
रुद्राणां
शंकरश्चास्मि वित्तेशो
यक्षरक्षसाम् ।
वसूनां पावकश्चास्मि मेरुः शिखरिणामहम् ॥
मैं एकादश रुद्रों में शंकर हूँ और
यक्ष तथा राक्षसों में धन का स्वामी कुबेर हूँ।
[ गीता 10.23]
धनद कोटि सत सम धनवाना
। माया कोटि प्रपंच
निधाना ॥
भार धरन सत कोटि
अहीसा । निरवधि निरुपम प्रभु जगदीसा ॥
[वे अरबों कुबेरों के समान धनवान और करोड़ों मायाओं के
समान सृष्टि के खजाने हैं । बोझ उठाने में वे अरबों शेषों के समान हैं ।
जगदीश्वर प्रभु श्री रामजी (सभी बातों में)
सीमा रहित और उपमा
रहित हैं | {उ0द091ख/4॥}]
गीता और श्रीरामचरितमानस से ली गयी उपरोक्त पंक्तियों
में यह बताया गया है कि भगवान ही धन के स्वामी और सबसे बड़े धनवान है। भगवान का जो
रुप सीतापति और राधेश्याम के रूप में आया था वो तो सिर्फ अयोध्या और द्वारिका जैसे
राज्यों का राजा था । इसको हस्तिनापुर, लंका आदि राज्यों के धन पर कोई
अधिकार प्राप्त नहीं था फिर ऐसा क्यों कहा गया है कि वह सबसे अधिक धनी हैं ? भगवान का जो
रुप सिर्फ अवध-नरेश था, वो उनका मानव रूप था और जो रूप
अरबों कुबेर से अधिक धनी है, वो रुप हरि-हाइड्रोजन का
है। यह कैसे हो सकता है कि हरि-हाइड्रोजन सूक्ष्म होने के बावजूद
भी सबसे अधिक धनी हो ?
इस बात को अर्थशास्त्र के तरीके से निम्न प्रकार से
समझाया गया है। बहुत लोगों का मानना है कि आर्थिक युग चल रहा है क्योंकि सब कुछ
पैसे से ही चल रहा है। आप सभी को बता दे कि भारत सरकार के बजट का आधिकांश हिस्सा संसाधनों
(पेट्रोलियम और गैस) के आयात पर
ही खर्च हो जाता है। हम सभी को लग रहा है कि देश को पैसा चला रहा है लेकिन सच तो
ये है कि इन पैसे को देकर बदले में लिया गया, हाइड्रोजन द्वारा रचित वह ईंधन (पेट्रोल आदि) ही देश को चला रहा है। सरकार को देश
चलाने के लिये जब भी पैसो की जरूरत पड़ती है, वह हरि-हाइड्रोजन
द्वारा रचित ईंधनोंका ही सहारा लेती है और इनका मूल्य बढ़ा देती है। जब इनका मूल्य
बढ़ा दिया जाता तो यातायात और निर्माण प्रकिया प्रभावित होती जिसके फलस्वरुप महँगाई
बढ़ जाती है और जिसका प्रभाव जन-जन पर पड़ता है। इस महँगाई की वजह
से हमारे शादी विवाह, कार्यक्रम भी प्रभावित हो जाते है और इस वजह से समान्य
जन-जीवन भी नहीं चल पाता है। इस प्रकार हम सभी देख रहे है
कि हाइड्रोजन निर्मित ईंधन ही देश के और विश्व के आर्थिक बजट को चला रहे है और ये आर्थिक बजट ही देश और जनता को चला रहे है
।
यदि हरि-हाइड्रोजनकी कृपा हो जाये और देश
मॆं पर्याप्त मात्रा में हाइड्रोजन-ईंधन साक्षात रूपों में प्रकट हो
जाय तो भारत सरकार का बजट का अधिकांश हिस्सा विदेशी मूल्को में नहीं
जायेगा और देश का पैसा बचने से देश अमीर होगा। जब देश अमीर होगा तो एक-एक
नागरिक की जिंदगी सुगम होगी। अरब, ईरान और ईराक आदि देशों में
हाइड्रोजन-रचित ईन्धन अधिक मात्रा में विराजमान है इसलिये वहां के
देश और लोग दोनों धनी होते है। हमारे यहाँ से गरीब लोग, उन अमीर
लोगों के यहाँ काम करके पैसा कमा के आते है।
सोना और चाँदी आदि प्रकृति में नियत है जबकि उर्जा संसाधन निरंतर बदलते रहते है और यही जगत में बदलाव भी करते रहते है। दुनियाँ के सभी देश के वैज्ञानिक-केंद्र, उर्जा-संकट के निर्दयिता से बचने के लिये हरि-हाइड्रोजन की कृपा-शक्ति (विराजमान) के लिये तपस्या और अध्ययन कर रहे हैं । जिस देश में हरि-हाइड्रोजन का स्थायी और विराट रुप प्रकट हो जायेगा वो देश दुनियाँ के सभी देशों को ईंधन बेचकर कुबेर (सबसे अधिक धनी) बन जायेगा। इस प्रकार साबित होता है कि परमात्मा के हाइड्रोजन वाला रुप ही दुनियाँ के सभी प्रकार के धन को आकर्षित करने वाला है।
नोट :- इसी प्रकार गुण संख्या 17 से लेकर 21 तक के अध्याय में हरि-हाइड्रोजन
के शक्तियों का गुणगान किया गया है ।
************** जय
श्री राम *****************
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
जय श्री राम 🙏