अध्याय – 4
हरि और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है।
लक्षण-संख्या =04/51
[ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य है तो यह भी सत्य है कि भगवान (हरि-हाइड्रोजन) का प्रोटियम-ब्रह्मा वाला रुप ही जगत-रचयिता और जीव-रचयिता दोनों है। इस भाग में केवल जीव-जन्मदाता (परम-पिता) वाले गुणों को दिखाया है। ]
जगत-रचना और जीव-रचना दोनों
ही अलग-अलग घटनायें है।
आज से लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व महाविस्फोट के फलस्वरुप जगत की रचना
हुई । इसके 10 अरब वर्ष बाद, ठंडा होने के पश्चात जीव-उत्पति
हुई थी । यहाँ पर जीव से जीव-उत्पति की घटना को दिखाया गया है। आगे
के अध्यायों में प्रथम जीव-उत्पति की घटना को भी दिखाया गया है।
भगवान जगत और जीव की रचना अपने ब्रह्मा रुप से ही करते है। इस
संदर्भ में आया है कि :
मम
योनिर्महद्ब्रह्म तस्मिन्गर्भं
दधाम्यहम् ।
संभवः सर्वभूतानां ततो भवति भारत ॥
हे अर्जुन ! मेरी
ब्रह्मरूप (प्रोटियम) मूल-प्रकृति सम्पूर्ण भूतों की योनि है अर्थात गर्भाधान का स्थान है और मैं
उस योनि में चेतन समुदाय रूप गर्भ की स्थापना करता हूँ। उस
जड़-चेतन के संयोग (हरि-हाइड्रोजन के हाइड्रोजन-बंध) से सब भूतों की उत्पति होती है। [ गीता 14.3 ]
एक व्यक्ति (मूर्तीकार) तो एक बार
में एक ही प्रकार का जीव (मूर्ति) की रचना कर
सकता है लेकिन यह कैसा ईश्वर है, जो एक बार में 84 लाख प्रजातियों के अनेकों जीवों की रचना एक क्षण में ही
कर देता है ? यह गुलाब से लेकर पीपल तक, मच्छर से
लेकर हाथी तक, आदि सभी प्रकार के जीवों (84 लाख) का जन्मदाता (परम-पिता) है। भगवान इस कार्य को अपने सूक्ष्म रुप (हाइड्रोजन) से करते है।
भगवान (हरि-हाइड्रोजन) के तीन रूपों में से प्रोटियम-ब्रह्मा वाला
रुप ही जीव और जगत-रचना का कार्य करता है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि केवल
हरि-हाइड्रोजन ही जगत की रचना किये है बल्कि गीता में साफ-साफ
बताया गया है कि हरि और उनकी माया (आक्सीजन, नाइट्रोजन और
कार्बन) मिलकर ही जगत का रचना करते है। भूर्ण-शास्त्र
के अनुसार पौधों और जंतुओं दोनों के जन्म
का प्रारम्भिक चरण का मूलकारक पदार्थ का नाम
DNA होता है जो एक प्रकार का कार्बनिक-अम्ल है। DNA के बिना
किसी भी जीव का जन्म हो ही नहीं सकता है। किसी भी जीव का DNA प्राप्त
होने पर प्रयोगशाला में उस जीव-शरीर की उत्पति की जा सकती है। जुरासिक-पार्क
और कृश-3 आदि फिल्मे इस बात का प्रमाण देती है। प्रोटियम-ब्रह्मा
और शेष उनकी माया (C,N,O,P)
मिलकर ही इस DNA की रचना करते है। DNA में परम-पिता ‘प्रोटियम-ब्रह्मा’ के चार मूल
योगदान है ।
(a)
प्रोटियम-ब्रह्मा, DNA नामक
रसायनिक-पदार्थ के अणु में सबसे अधिक संख्या में विराजमान रहते
है।
(b)
प्रोटियम-ब्रह्मा ही अपने हाइड्रोजन-बंध
की 20 गुना अधिक शक्तिशाली क्षमता से DNA की संरचना प्रदान करते है। यह
संरचना ही जीव की योनि (प्रजाति) को निर्धारित
करता है।
(c)
अपने द्वारा बनाये गये महत्वपूर्ण यौगिकों (जल और
प्रोटीन आदि) के द्वारा इस DNA का देखभाल करते है।
(d)
यह प्रोटियम-ब्रह्मा ही अपने हाइड्रोजन-बंध
से नर और मादा के दो
DNA को जोडकर एक नया DNA अर्थात
नये जीव को जन्म देते है।
गीता में यह साफ-साफ बताया गया है कि भगवान अपने सूक्ष्म
रुप से ही सभी प्राणियों को उत्पन्न करते है। यही कारण है कि प्रोटियम-ब्रह्मा
को परमपिता कहा गया है। इस जगत में पाये जाने वाले हरि-हाइड्रोजन का
99.985% भाग प्रोटियम-ब्रह्मा के रुप में ही पाया जाता है, इस प्रकार DNA के
अणुओं की रचना भी, हरि-हाइड्रोजन के प्रोटियम रुप (ब्रह्मा) के द्वारा ही मानी जायेगी क्योंकि इसकी प्रायिकता अधिक
होगी ।
हरि-हाइड्रोजन DNA में
विराजमान होकर नये जीव का जन्म तो देते ही है और इसके साथ ही जीवधारियों के शरीर
की रचना भी करते है। प्राणियों के शरीर की सूक्ष्तम ईकाई को कोशिका कहते है। जीवों
की कोशिका में कार्बोहाइड्र्ट, सुगर, वसा, प्रोटीन, DNA, RNA, ATP, NADP जल, वसा आदि के अणु पाये जाते है। इन
सभी के रसायनिक-सुत्रो को देखने से ज्ञात होता है कि जीवों के शरीर का लगभग सम्पूर्ण
भाग (90%) की रचना, प्रोटियम-ब्रह्मा नामक
तत्व और शेष उनकी माया से हुई है। प्रकृति में पाये जाने वाले हाइड्रोजन में 99.985% प्रोटियम-ब्रह्मा (परम-ब्रह्म) ही विराजमान रहते है। इस प्रकार सबसे अधिक प्रायिकता प्रोटियम-ब्रह्मा
की है। इस प्रकार यह साबित होता है कि जगत-रचना, जीव-रचना और जीव-शरीर
के रचना के भी मूलकारक प्रोटियम-ब्रह्मा ही है ।
कहा गया है कि यत पिंडे तत ब्रह्मांडे। पिंड का अर्थ प्राणी (मानव) और ग्रह (पृथ्वी) दोनों होता है। बहुत ही आश्चर्य की बात है कि मानव- शरीर, पृथ्वी और ब्रह्मांड तीनों में हाइड्रोजन के परम अणुओं की ही प्रबल बहुलता है। विज्ञान की आधुनिता आने से पहले ग्रंथों ने इस सत्य की विवेचना कर दी थी। हमें गर्व होता है कि सनातन-धर्म में ऐसे प्राचीन साक्ष्य छिपे हुए है जो विज्ञान को भी नतमस्तक कर देते है।
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