THIS IS A BOOK, WRITTEN BY S. RAMAYAN. © AUTHOR

05 अप्रैल, 2023

07/51 लक्षण संख्या- 07/51 [ हरि-हाइड्रोजन के तीन रुप और उनमें सम्बंध ]

 

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अध्याय - 7

हरि और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है।

लक्षण-संख्या =07/51

यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य है तो यह भी सत्य है कि भगवान

हरि-हाइड्रोजन ) के तीनों रूपों में गहरा संबध है। ट्राइटेरियम-शिव के अंदर (कंठ के नीचेड्यूटेरियम-विष्णु विराजमान रहते है और ड्यूटेरियम-विष्णु के अंदर (  नाभिक / नाभि ) से प्रोटियम-ब्रह्मा निकलते है। ]

 

 


हाइड्रोजन के तीन रूपों को क्रमशः प्रोटियम-ब्रह्मा(1H1), ड्यूटेरियम-विष्णु (1H2)  और  ट्राइटेरियम-शिव (1H3) से दर्शाया जाता है। इनके बीच के संबधों को वेद और विज्ञान दोनों ही एक समान रुप से बताते है ।

(1)     शास्त्र और साइंस दोनों ही इनके एक साथ नाम रखने के क्रमागत नियम का पालन करते है। शास्त्रों में यह क्रम ब्रह्मा, विष्णु और महेश का है वही साइंस में यह क्रम प्रोटियम-ब्रह्मा, ड्युटेरियम-विष्णु और ट्राइटेरियम-शिव का है।

(2)     ट्राइटेरियम-शिव (1p + 2n = 1p+1n +1n ) अकार में बड़े होते है और इनके अंदर ड्यूटेरियम-विष्णु  (1p+1n) निवास करते है। वेद के अनुसार मान्यता है कि ट्राइटेरियम-शिव के अंदर, विष्णुजी रहते है ।

(3)     ड्युटेरियम-विष्णु (1p+1n) के नाभिक (नाभि) से प्रोटियम-ब्रह्मा (1p) निकलते है। ऐसा माना जाता है कि उनके अंदर से कमल सहित ब्रह्मा जी प्रकट होते है ।

(4)     प्रोटियम-ब्रह्मा (1p) ही जीव और जगतआदि के जन्मदाता है अर्थात रचयिता है। यही कारण है कि भगवान का यह रुप तीनों रूपों में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है ।

 

यहाँ पर माया-इलेक्ट्रान को नगण्य माना गया है क्योंकि परमाणु क्रमांक और परमाणु-भार की परिभाषा में इसको शामिल नहीं किया जाता है।  इलेक्ट्रान का द्रव्यमान, प्रोटान का 0.01% से भी कम होता है अतः इसे नगण्य माना जा सकता है। वेद और विज्ञान दोनों ही माया के प्रभाव की गणना नहीं कर रहे हैं । शायद माया को तुक्ष इसी लिये कहा गया है। इस प्रकार साबित होता है कि ट्राइटेरियम-शिव के हृदय में ड्यूटेरियम-विष्णु निवास करते है और ड्यूटेरियम-विष्णु के नाभिक से प्रोटियम-ब्रह्मा जी प्रकट होते है ।

 

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