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अध्याय - 25हरि
और हाइड्रोजन के कुल 51 लक्षण मिलते है। लक्षण-संख्या
=25/51 [ यदि शास्त्र और साइंस दोनों सत्य
है तो यह भी सत्य है कि परम-ब्रह्मा (हरि-हाइड्रोजन) को समझने के लिये जल और बर्फ के बीच के संबध को समझना
चाहिये। हरि-हाइड्रोजन को समझने के लिये, लेखक एस. रामायण के अतिरिक्त तुलसीदासजी और
वेदब्यास भी H2O नामक यौगिक के दो रुप क्रमशः जल
और हिम की सहायता ले रहे है। ] |
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हरि-अनंत हरि कथा अनंता
ईश्वर एक हैं और रूप अनेक है। वह सकार भी है और
निराकार भी है। ईश्वर (हाइड्रोजन)के साकार और निराकार रुप को समझने के लिये
शास्त्र और साइंस दोनों ही जल और बर्फ की उपमा दे रहे है। इस संदर्भ में श्रीरामचरितमानस
में आया है कि
जो गुन रहित सगुन सोइ कैसे। जलु हिम उपल बिलग नहिं जैसे ॥
जासु नाम भ्रम तिमिर पतंगा।
तेहि किमि कहिअ बिमोह प्रसंगा॥
जो निर्गुण है वही सगुण कैसे
है? जैसे जल और ओले में भेद नहीं (दोनों जल
H2O ही हैं, ऐसे ही निर्गुण और सगुण एक ही हैं।) जिसका नाम भ्रम रूपी अंधकार के मिटाने के लिए सूर्य है, उसके लिए मोह का प्रसंग भी कैसे कहा जा सकता है ?
[ बालकांड/सो0115/च2]
मया
ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना
।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं
तेष्ववस्थितः ॥
उपमा के साथ प्रस्तुत अर्थ : मुझ निराकार परमात्मा (हाइड्रोजन-बंध के कारण) से यह सब जगत जल से बर्फ के सदृश
परिपूर्ण है और सब
भूत मेंरे अंतर्गत संकल्प के आधार स्थित हैं । [९- ४/ गीता ॥]
परमात्मा (हरि-हाइड्रोजन) को समझने के लिये H2O नामक यौगिक की सहायता, वेद और विज्ञान दोनों द्वारा ली जा
रही है। हरि-हाइड्रोजन (66%) और उनकी माया आक्सीजन (सीता) ही मिलकर ही जल रुपी जीवन की रचना
करते है। हरि-हाइड्रोजन द्वारा रचित जल नामक भूत पदार्थ भी ईश्वर का
ही रुप है। गीता में हरि-हाइड्रोजन ने स्वयं बताया है कि वो
द्रवों में जल है। वास्तव में H2O
तो मूल रुप से एक ही यौगिक है लेकिन
फिर भी यह जल रुप में निराकार होता है। यह पुस्तक विज्ञान
को समर्पित है अतः सारे अर्थ विज्ञान के अनुसार ही निकाले गये है। जल का कोई अकार नहीं
होता है। इसको जिस पात्र (प्राणी) में रखा जाता
है, वह उसी का रुप धारण कर लेता है। नीराकार वालो के अनुसार
हरि, सभी जीव (पात्र) में विराजमान
होते है ।
H2O का सकार रुप बर्फ होता है। यह बर्फ आँखों से दिखाई देता
है और इसका अकार भी होता है। सकार-ब्रह्म ऐसे ही होता है। निराकार रुप
से सकार रुप में आने के लिये भगवान को अपनी शक्ति (हाइड्रोजन-बंध) की
सहायता लेना पड़ती है। हरि-हाइड्रोजन के हाइड्रोजन-बंध के कारण ही जल से बर्फ बनता है, जिससे
वह दिखता है। इस
प्रकार परमात्मा अर्थात हरि-हाइड्रोजन की उपस्थिति और उसके गुण
को समझने के लिये वेद और विज्ञान दोनों द्वारा H2O का ही
सहारा लिया जा रहा है। श्रीरामचरितमानस, गीता और विज्ञान तीनों ही मिलकर जल
के माध्यम से भगवान( हरि-हाइड्रोजन) का
गुण-गान कर रहे है।
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